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Upma Singh

Navbharat Times

Upma Singh is a journalist with 17 years of experience in the field of entertainment and feature journalism. She has worked with Amar Ujala and Dainik Bhaskar , leading national hindi newspapers before joining Navbharat Times. She is an assistant editor at Navbharat Times, Mumbai.

All reviews by Upma Singh

Image of scene from the film Housefull 5

Housefull 5

Comedy, Crime, Mystery (Hindi)

सितारों की भरमार के बाद भी नहीं चमकी ये कमजोर कॉमिडी

Fri, June 6 2025

अक्षय कुमार, अभिषेक बच्चन, जैकी श्रॉफ, संजय दत्त, नाना पाटेकर, रितेश देशमुख और ऐसे करीब एक दर्जन और सितारे, अक्सर अपनी फिल्‍मों में स्टार पावर पर भरोसा करने वाले निर्माता साजिद नाडियाडवाला ने अपनी चर्चित कॉमिडी फ्रैंचाइजी ‘हाउसफुल’ के 5वें संस्करण में स्टार्स की कतार लगा दी है। कॉमेडी के साथ-साथ इस बार मर्डर मिस्ट्री का छौंका भी लगाया है। उस पर रोमांच को दोगुना करने के लिए दो-दो क्लाइमैक्स (हाउसफुल 5A और हाउसफुल 5B) भी ले आए हैं। लेकिन इन सबके बावजूद वह यह भूल गए हैं कि आज के दौर में असल स्टार कहानी होती है। लिहाजा करीब डेढ़ दर्जन सितारों की मौजूदगी भी उनकी इस पुराने स्टाइल की कमजोर कहानी को चमकदार नहीं बना पाती। शायद, यही वजह है कि सुबह साढ़े 8 बजे के शो में जब मैं पहुंची तो वहां मेरे अलावा कोई और नहीं था और शो कैंसल करना पड़ा। किसी तरह, अगले शो में 7-8 लोग जुट गए तो फिल्म देखने का अवसर मिल पाया।

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Image of scene from the film Karate Kid: Legends

Karate Kid: Legends

Action, Adventure, Drama (English)

Sat, May 31 2025

बात करीब 40 साल पहले 1984 की है, जब कुंग फू-कराटे पर आधारित मार्शल आर्ट ड्रामा ‘द कराटे किड’ आई थी। देखते ही देखते यह दुनिया की ऐसी चहेती फ्रेंचाइज बन गई कि 1986, 1989 और 1994 में इसके तीन सीक्वल आए। फिर 2010 में जैकी चैन को मुख्य भूमिका में लेकर इसे रीबूट किया गया, तो टीवी सीरीज ‘कोबरा काई’ भी बनी। वहीं, अब इसकी छठी पेशकश ‘कराटे किड: लेजेंड्स’ सिनेमाघरों में पहुंची है। जाहिर है, ऐसी कामयाब फ्रेंचाइजी से ऊंची उम्मीदें होना स्वाभाविक है, मगर अफसोस कि देखे-दिखाए फॉर्मूले के चलते यह फिल्म अपने टाइटल की तरह ‘लेजेंड’ बनने से काफी दूर रह गई है। जोनाथन एंथविसल के डायरेक्‍शन में बनी इस‍ फिल्‍म की कहानी है, बीजिंग के एक युवा ली फोंग (बेन वांग) की। ली, मिस्टर हान (जैकी चैन) के कुंग-फू स्कूल का स्टार स्टूडेंट है, लेकिन उसकी डॉक्टर मां नहीं चाहती कि ली मार्शल आर्ट से कोई रिश्ता रखे। असल में, एक फाइट में वह अपने कुंग-फू चैंपियन बड़े बेटे को खो चुकी है, इसलिए ली को इससे दूर रखने के लिए न्यूयॉर्क में नई जिंदगी शुरू करती है।

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Image of scene from the film Kankhajura

Kankhajura

Drama, Crime (Hindi)

Sat, May 31 2025

कनखजूरा, एक ऐसा रेंगने वाला लिजलिजा जीव है, जो देखने में बेहद कमजोर लगता है। लेकिन एक बार वो आपसे चिपक जाए या कान में घुस जाए तो खून की एक-एक बूंद तक निचोड़ सकता है। एक ऐसी ही प्रकृति वाले इंसान की रोचक दास्तान है, वेब सीरीज ‘कनखजूरा’। एक्टर रोशन मैथ्यू की शानदार परफॉर्मेंस से सजी यह सीरीज एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है, जो आपको सही-गलत के खेल में ऐसा उलझाती है कि आप आखिर तक उससे नहीं निकल पाते। यह इजराइली शो ‘मैग पाई’ की यह हिंदी रीमेक है। कहानी में दो भाई आशु (रोशन मैथ्यू) और मैक्स (मोहित रैना) हैं। आशु एक मर्डर केस में 14 साल जेल में सजा काटने के बाद बाहर आता है, तो मैक्स उसे खुशी-खुशी लेने आता है। वह आशु को बताता है कि जल्द ही वह अपने बचपन के दोस्तों और पार्टनर्स पेद्रो (निनाद कामत) और शारदुल (महेश शेट्टी) के साथ मिलकर गोवा की सबसे बड़ी और हाई-फाई सोसायटी डेवलप करने जा रहा है, जो उसका ड्रीम प्रॉजेक्ट है।

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Image of scene from the film Criminal Justice: A Family Matter

Criminal Justice: A Family Matter

Crime, Mystery, Drama (Hindi)

रोमांचक कोर्ट-रूम ड्रामा में चमके पंकज और सुरवीन

Thu, May 29 2025

कोर्ट-कचहरी से यूं तो आम आदमी दूर ही रहना पसंद करता है, मगर इंसाफ के इस गलियारे की कहानियां अगर ढंग से कही जाए, तो लोग बड़े चाव से देखते-सुनते हैं। यही वजह है कि OTT पर लीगल सिस्टम पर आधारित ‘इलीगल’, ‘मामला लीगल है’, ‘गिल्टी माइंड्स’ जैसी वेब सीरीज काफी पसंद की गई। लेकिन इन सबमें बाजी मारी ‘क्रिमिनल जस्टिस’ ने। पंकज त्रिपाठी स्टारर यह कोर्टरूम ड्रामा उन चंद कामयाब शोज में से है, जो चौथे सीजन तक पहुंचा है। इससे पहले यह कमाल सिर्फ ‘गुल्लक’ ही कर पाई है। अब अपने चौथे सीजन ‘क्रिमिनल जस्टिस: ए फैमिली मैटर’ में भी वकील माधव मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) एक ऐसा जटिल हाई प्रोफाइल केस लड़ते हैं, जो ना केवल अंत तक बांधे रखता है, बल्कि इमोशनल भी करता है।

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Image of scene from the film Pune Highway

Pune Highway

(Hindi)

Sat, May 24 2025

विलियम शेक्सपियर की ‘रोमियो जूलियट’, ‘मैकबेथ’, ‘हेमलेट’ और ‘ओथैलो’ जैसे नाटकों पर दुनियाभर में फिल्में बनी हैं, लेकिन राइटर-डायरेक्टर राहुल डा कुन्हा अपने ही चर्चित नाटक ‘पुणे हाईवे’ को बड़े पर्दे पर लेकर आए हैं। बग्स भार्गव कृष्णा के साथ मिलकर लिखी और डायरेक्ट की यह फिल्म अतीत के घाव और मौजूदा समय में हुए एक अपराध के बीच दोस्ती की गहराई परखती है। हालांकि, कमजोर स्क्रीनप्ले के कारण यह मर्डर मिस्ट्री कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पाती। कहानी चार दोस्तों खांडू उर्फ प्रमोद खंडेलवाल (अमित साध), विष्णु (जिम सर्भ), निक्की (अनुवाब पाल), खांडू की बहन नताशा (मंजरी फडनिस) और बाबू (हिमांशु बालपांडे) की है। चारों बचपन के दोस्त हैं। ये सभी साथ बड़े हुए हैं, इसलिए इनका रिश्ता बहुत मजबूत है। फिर भी जब बाबू पर जानलेवा हमला होता है, तो बाकी तीनों दोस्त चुपचाप बस देखते रहते हैं, क्योंकि वह हमला ताकतवर नेता मानसेकर (शिशिर शर्मा) ने करवाया होता है। यही नहीं, खांडू खुद मानसेकर के लिए ही काम करता है। इस वजह से विष्णु और खांडू में नैतिकता को लेकर बहस भी होती है, मगर उनकी दोस्ती बरकरार रहती है। यह दोस्ती तब भी नहीं टूटती, जब विष्णु की वजह से खांडू की बहन नताशा का दिल टूट जाता है। मगर तभी मानसेकर की बेटी मोना (केतकी नारायण) का मर्डर इन चारों की जिंदगी में उथल पुथल मचा देता है। मोना के मर्डर से इनका क्या कनेक्शन होता है? किसने किया है मर्डर? यह जानने के लिए फिल्म देखनी होगी।

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Image of scene from the film Phule

Phule

History, Drama (Hindi)

महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के प्रेरणादायी जीवन सफर से रूबरू होने के लिए, यह फिल्‍म एक बार जरूर देखनी चाहिए।

Sat, April 26 2025

‘हमारा देश एक भावुक देश है, यहां धर्म और जाति के नाम पर लोगों को लड़ाना बड़ा ही सरल है, यह भविष्य में भी होगा।’ देश के महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की फिल्म ‘फुले’ में की गई यह भविष्यवाणी आज के दौर में और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाती है, जब धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में धर्म के नाम पर कई परिवार उजाड़ दिए जाते हैं। बेटियों की शिक्षा के लिए आज भी ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ मुहिम चलानी पड़ती है और उच्च वर्ग नाराज ना हो जाए, इसलिए फिल्म को सेंसर कर दिया जाता है। ज्योतिबा कहते हैं, ‘बस क्रांति की यह ज्योति जलाए रखना।’ वह क्रांति, जिसका बिगुल उन्होंने 18वीं सदी में फूंका था। फिल्म ‘फुले’ ज्योतिबा के जीवन और विचारों को समर्पित वही क्रांति गीत है, जिसे मेनस्ट्रीम सिनेमा में लाने के लिए मेकर्स की तारीफ बनती है।

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Image of scene from the film Jaat

Jaat

Action, Drama (Hindi)

सनी देओल के स्वैग और एक्शन के फैन हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।

Fri, April 11 2025

‘यह ढाई किलो का हाथ जब उठता है ना तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है।’, 32 साल पहले फिल्म ‘दामिनी’ में सनी देओल ने अपने ढाई किलो के हाथ की ताकत दिखाकर नॉर्थ के दर्शकों के दिल लूटा था। अब बॉलीवुड के OG एक्शन स्टार 67 साल की उम्र में ‘जाट’ बनकर वही दमखम दिखाने साउथ के मैदान में उतरे हैं। खास बात यह है कि चेहरे और त्वचा पर इस बढ़ती हुई उम्र का असर दिखने के बावजूद, वह अपने स्वैग, स्टाइल और एक्शन से, अब भी इस बात पर भरोसा दिलाते हैं कि उनका यह ढाई किलो का हाथ दर्जनों गुंडों को अकेले पीट-पीटकर भूसा भर सकता है। चलती जीप रोक सकता है और भारी-भरकम पंखे को उठाकर हवा में उड़ा सकता है। फिल्म ‘जाट’ असल में साउथ इंडियन स्टाइल में 80 के दशक वाले ‘एंग्री यंग मैन’ सनी देओल की वापसी है, जो विशेष रूप से उस किस्म की मसाला फिल्मों के शौकीनों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिनमें दिमाग लगाना या लॉजिक ढूढ़ना बेवकूफी होगी।

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Image of scene from the film L2: Empuraan

L2: Empuraan

Action, Crime, Thriller (Malayalam)

भव्यता के फेर में फंस गया ये 'एम्पुरान'

Fri, March 28 2025

मलयालम सिनेमा के जाने-माने ऐक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन ने साल 2019 में फिल्म लुसिफर से निर्देशन में कदम रखा था। दिग्गज अभिनेता मोहनलाल की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म ने तब रेकॉर्ड कामयाबी हासिल की थी। फिल्म को सिर्फ केरल ही नहीं, अन्य राज्यों के दर्शकों ने भी खूब पसंद किया था। इसलिए, पृथ्वीराज सुकुमारन अब इसका सीक्वल L2 : एम्पुरान पैन इंडिया लेवल पर पांच भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु और मलयालम में लेकर आए हैं। एम्पुरान का मतलब ही होता है- ऐसा महान राजा, जिसका दर्जा बस भगवान से ही कम हो। लिहाजा, इस बार फिल्म का स्केल भी कहीं ज्यादा बड़ा है। दुनिया के अलग-अलग लोकेशंस पर बड़े-बड़े शॉट्स फिल्म का आकर्षण है। लेकिन इस स्टाइल, भव्यता, चमक-दमक के बीच कहानी कमजोर रह गई है। इस बार कहानी में लुसिफर वाली गहराई और पकड़ नदारद है। कहानी लुसिफर का टैग पाने वाले स्टीफन नेदूंपल्ली उर्फ कुरैशी अब्राम (मोहनलाल) के एम्पुरान यानी और ताकतवर बनने की है। उसकी दुनिया केरल से निकलकर इंटरनैशनल हो चुकी है। अपने दत्तक पिता रामदास (सचिन खेडेकर) के निधन के बाद सत्ता उनके पुत्र जतिन (टोविनो थॉमस) को सौंपकर स्टीफन एक अंतरराष्ट्रीय गैंग के सरगना के रूप में सक्रिय है, मगर यहां भी नशे के खिलाफ उसकी जंग जारी है और वह ड्रग रैकेट चलाने वाले काबूगा गैंग का सफाया करने में जुटा हुआ है। इधर, केरल की राजनीति में अलग उथल-पुथल शुरू हो जाती है। पांच साल मुख्यमंत्री बनने बाद जतिन तरह-तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुका है। यही नहीं, आगामी इलेक्शन के लिए वह अपने पिता की पार्टी छोड़कर सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ाने वाले नेता बाबा बजरंगी (अभिमन्यु सिंह) से हाथ मिलाकर नई पार्टी बना लेता है, जिसके विरोध में उसकी बहन प्रियदर्शिनी (मंजू वॉरियर) खुद राजनीति में उतर जाती है। वहीं, अपने राज्य को बचाने के लिए स्टीफन को भी केरल लौटना पड़ता है। अब स्टीफन की यह घर वापसी क्या गुल खिलाती है, यह जानने लिए सिनेमाघर जाना होगा।

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