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Upma Singh

Navbharat Times

Upma Singh is a journalist with 17 years of experience in the field of entertainment and feature journalism. She has worked with Amar Ujala and Dainik Bhaskar , leading national hindi newspapers before joining Navbharat Times. She is an assistant editor at Navbharat Times, Mumbai.

All reviews by Upma Singh

Image of scene from the film The Fantastic Four - First Steps

The Fantastic Four - First Steps

Science Fiction, Adventure (English)

फैमिली ड्रामा में फंस गए ये फैंटास्टिक सुपरहीरोज

Fri, July 25 2025

चार वैज्ञानिक, जो एक स्पेस मिशन के लिए अंतरिक्ष में गए, मगर वहां कुछ ऐसी ब्रह्मांडीय किरणों से टकराए कि वे सुपरपावर्स से लैस होकर वापस लौटे और बन गए फैंटास्टिक फोर। वे सुपरहीरोज, जो अपनी दुनिया को हर तरह के खतरों से बचाते हैं। मार्वल के ये ‘फैंटास्टिक फोर’ फिर पर्दे पर लौटे हैं, मगर इस बार जोर एक्शन, एडवेंचर और रोमांच से ज्यादा इमोशन और फैमिली ड्रामा पर है। यह कहानी एक काल्पनिक रेट्रो फ्यूचरिस्टिक दुनिया अर्थ 828 के मसीहा, ‘फैंटास्टिक फोर’ रीड रिचर्ड्स (पेड्रो पास्कल), उसकी पत्नी सू स्ट्रॉम (वैनेसा किर्बी), दोस्त बेन ग्रिम (एबन मॉस-बैचराच) और साले जॉनी स्ट्रॉम (जोसेफ क्विन) के परिचय से शुरू होती है। एक टीवी होस्ट दर्शकों को बताता है कि कैसे 4 साल पहले ये चारों स्पेस में गए और अलग-अलग सुपरपावर वाले हीरो बन गए। मसलन, तेज दिमाग वाला रीड किसी रबर की तरह फैल सकता, सू गायब हो सकती है, बेन अब विशाल पत्थर की तरह बन चुका है, वहीं जॉन उड़ते हुए आग के गोले में तब्दील हो सकता है। इन चार साल में अपनी इन ताकतों के दम पर इन्होंने कई खलनायकों से लोगों की रक्षा की है। चारों एक परिवार की तरह साथ रहते हैं और जल्द ही रीड और सू के घर एक नन्हा मेहमान भी आने वाला है। लेकिन तभी इनकी दुनिया पर गैलेक्टस के रूप में एक खतरा मंडराने लगता है।

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Image of scene from the film Saiyaara

Saiyaara

Romance, Drama (Hindi)

परफेक्ट नहीं, पर प्यारी है अहान और अनीत की ये 'आशिकी'

Fri, July 18 2025

‘सैयारा मतलब तारों में इक तन्हा तारा, खुद जलकर जो रोशन कर दे जग ये सारा।’ यह डायलॉग है, दर्द-ए-दिल की कहानियों के महारथी हो चुके डायरेक्टर मोहित सूरी की नई फिल्म ‘सैयारा’ का। इश्क में खुद को मिटाकर अपने प्यार को रोशन करने वाले ऐसे सैयाराओं की कहानी मोहित ‘आशिकी 2’ के जमाने से सुनाते आ रहे हैं। यह फिल्म भी उसी की नई कड़ी है, जिसमें प्यार, दर्द और सुरीले गानों का कॉकटेल है। साथ ही अहान पांडे (चंकी पांडे के भतीजे) और अनीत पड्डा के रूप में दो नए चेहरों की ताजगी भरी केमिस्ट्री भी। कहानी की कमी-बेसी के बावजूद मोहित का प्यार का यह दांव इस बार भी सही ही बैठा है। कहानी संगीत की दुनिया में चमकने का सपना देखने वाले एक उभरते हुए कलाकार कृष कपूर (अहान पांडे) की है। अहान के एंट्री शॉट से ही साफ हो जाता है कि वह ‘आशिकी 2’ के आरजे और ‘रॉकस्टार’ के जेजे टाइप बेपरवाह, गुस्सैल, सिगरेट के कश खींचने वाला बंदा है। जबकि, उसके उलट वाणी बत्रा (अनीत पड्डा) एक शांत, समझदार, खुद में गुमसुम रहने वाली लड़की है, जो हाल ही में एक दर्दनाक ब्रेकअप से बाहर आई है। हां, टैलंटेड दोनों खूब हैं।

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Image of scene from the film Tanvi the Great

Tanvi the Great

Drama (Hindi)

'ग्रेट' बनाने के फेर में न पड़ते तो परफेक्ट थी 'तन्वी'

Fri, July 18 2025

‘कोई किसी को सपने देखने से कैसे रोक सकता है?’ यह डायलॉग है, जाने-माने अभिनेता अनुपम खेर की ताजातरीन फिल्म ‘तन्वी द ग्रेट’ का। असल जिंदगी में भी वह ‘कुछ भी हो सकता है’ और ‘आपके बारे में सबसे बेहतरीन चीज आप खुद हैं’ जैसे प्रेरक फलसफे पर यकीन करते हैं। अनुपम खेर की इस फिल्म का सार भी यही है कि ‘हर इंसान अलग’ है और यही उसकी खूबी है। दुनिया की नजर में बेहद कमजोर दिखने वाला इंसान भी ठान ले तो बड़े से बड़ा सपना पूरा कर सकता है। अनुपम खेर इस फिल्म से दो दशक बाद निर्देशन में उतरे हैं। वह इसके सह-लेखक भी हैं। फिल्म उनके लिए इस मायने में भी खास है कि कहानी की प्रेरणा उनकी खुद की ऑटिस्टिक भांजी तन्वी है। सैन्य ट्रेनिंग के लिए मशहूर उत्तराखंड के लैंसडाउन में सेट यह कहानी है, एक स्पेशल चाइल्ड तन्वी (शुभांगी दत्त) की, जो दिल्ली में अपनी मां डॉक्टर विद्या रैना (पल्लवी जोशी) के साथ रहती है। तन्वी को ऑटिज्म है, जिस कारण वह दूसरों से अलग है। अपने पिता कैप्टन समर रैना (करण टैकर) को वह बचपन में ही खो चुकी है। ऐसे में, जब उसकी मां विद्या को एक समिट के लिए यूएस जाना पड़ता है, तो तन्वी को अपने दादा कर्नल प्रताप रैना (अनुपम खेर) के पास लैंसडाउन आना पड़ता है।

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Image of scene from the film Maalik

Maalik

Action, Thriller, Crime, Drama (Hindi)

Fri, July 11 2025

‘दुनिया में दो तरह के लोग रहते हैं… एक जो पसीना बहाकर रोटी कमाते हैं, और दूसरे जो खून-पसीना बहाकर रोटी छीन लेते हैं।’ सिनेमाई पर्दे का ये ‘मालिक’ उस दूसरे तरह का बंदा है। कुछ वैसा ही, जैसा 80 के दशक के एंग्री यंग मैन हुआ करते थे। उसकी फिलॉसफी भी वही है कि मालिक पैदा नहीं हुआ तो क्या हुआ, बन तो सकते हैं। उसके लिए मार-काट, गोली-बंदूक, डर-हिंसा का रास्‍ता ही आसान है। आजकल पर्दे पर यह सब खूब चल भी रहा है, तो उसी विजय दीनानाथ चौहान और पुष्‍पाराज वाली कड़ी में एक गरीब परिवार के लड़के के बाहुबली बनने की कहानी है ‘मालिक’। कहानी 80 के दशक में इलाहाबाद में सेट है, जहां एक मजबूर किसान राजेंद्र गुप्ता का बेटा दीपक (राजकुमार राव) अपनी किस्मत के आगे झुकने को तैयार नहीं है, बल्कि वह अपने पिता की किस्मत बदलकर उसे एक मजबूत बेटे का बाप बनाने पर आमादा है। उसे यह मौका तब मिल भी जाता है, जब इलाके के बाहुबली नेता शंकर सिंह (सौरभ शुक्ला) का गुर्गा उसके पिता के ऊपर ट्रैक्टर चलवा देता है। दीपक इलाके के बाहुबली शंकर सिंह को आइडल मानता है। बस फिर क्या था, इसके बाद दीपक बीच चौराहे पर उस गुंडे को बेरहमी से खत्म कर अपनी दबंगई साबित कर देता है और बन जाता है- मालिक।

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Image of scene from the film Aap Jaisa Koi

Aap Jaisa Koi

Romance, Comedy (Hindi)

बराबरी वाले प्यार से पैट्रियार्की पर चोट

Fri, July 11 2025

‘ओह, आप कितनी लकी हैं कि आपका पति आपको नौकरी करने देते हैं। शाम को देर से आती हैं, तब भी कुछ नहीं कहते।’ यह बात हर शादीशुदा कामकाजी औरत ने कभी ना कभी सुनी होगी। ऐसे पति भी खुद को मॉडर्न सोच का रोलमॉडल समझते हैं, क्‍योंकि वे अपनी पत्नी को जॉब करने देते हैं। वहीं, बीवियां भी खुशी से फूले नहीं समातीं कि वे कितनी भाग्यवान हैं। बस, हैपी एंडिंग। लेकिन कोई यह नहीं पूछता कि आप होते कौन हैं किसी को काम करने देने के लिए इजाजत देने वाले? पति-पत्नी तो शादी की गाड़ी में दो पहिए होते हैं ना, तो दोनों बराबर क्यों नहीं? और यही जरूरी सवाल करती है, करण जौहर के बैनर की ताजातरीन फिल्म ‘आप जैसा कोई’। बराबरी वाला प्यार, जिसमें ‘जितने तुम उतनी मैं’ की पैरवी करती यह प्रेम कहानी समाज में पसरी पितृसत्तात्मक सोच पर तगड़ा चोट करती है। कहानी जमशेदपुर के श्रीरेणु त्रिपाठी (आर माधवन) की है, जो 42 की उम्र में भी कुंवारे हैं। संस्कृत के अध्यापक श्रीरेणु के जीवन में कन्या का प्रवेश हो ही नहीं पा रहा। किसी लड़की को उनका नाम पसंद नहीं आता, तो किसी को उनका काम। ऐसे में, उनका बचपन का दोस्त दीपक (नमित दास) उनकी मुलाकात डेटिंग ऐप ‘आप जैसा कोई’ से करवा देता है। इस ऐप के जरिए श्रीरेणु एक कन्या से मीठी-मीठी बातें करते हैं, जिससे उनके उदासी भरे चेहरे पर मुस्कान तैरने लगती है। मगर चमत्कार तो तब होता है, जब कोलकाता की हसीन-जहीन मधु बोस (फातिमा सना शेख) उनकी जिंदगी में आती है।

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Image of scene from the film Mistry

Mistry

Comedy, Mystery (Hindi)

मनोरंजन के पैमाने पर काम चलाऊ निकला ये 'मिस्त्री'

Sun, June 29 2025

ओटीटी प्लैटफॉर्म्स को अपने दर्शकों को पकड़कर रखने के लिए लगातार नया कॉन्टेंट लाना पड़ता है, मगर इतनी कहानियां कहां से आए? इसके लिए अच्छा तोड़ है रीमेक। दुनिया का कोई भी हिट शो उठाओ, उसके राइट्स लो और हिंदी में अडॉप्ट कर डालो और इस कड़ी में नया नाम है ‘मिस्त्री’। राम कपूर की मुख्य भूमिका वाली यह वेब सीरीज मशहूर अमेरिकन शो ‘मॉन्क’ का देसीकरण है। कहानी क्राइम विभाग से सस्पेंडेड एक ऐसे कमाल के जासूस अरमान मिस्त्री (राम कपूर) की है, जो केसेज सुलझाने में उस्ताद है। वह उन सुरागों को झट से पकड़ लेता है, जो दूसरे देख भी नहीं पाते। लेकिन वह गंदगी जरा भी बर्दाश्त नहीं कर पाता, किसी भी चीज को बेतरतीब नहीं देख पाता, क्योंकि वह ओसीडी यानी ऑब्सेसिव कंप्लसिव डिसॉर्डर से जूझ रहा है। ऐसे में, उसकी असिस्टेंट शरण्या (शिखा तलसानिया) हर वक्त सैनेटाइजर और टिश्यू पेपर लिए उसकी मदद के लिए तैयार रहती है। दरअसल, अरमान अपनी आंखों के सामने पत्नी सुष्मिता को बम ब्लास्ट में खोने के बाद से ओसीडी का शिकार हो गया। इस वजह से लोगों के बीच उसका बर्ताव सामान्य नहीं रहता, लेकिन उनके तेज दिमाग के चलते क्राइम विभाग की इंचार्ज और अरमान की पुरानी कलीग एसीपी सहमत सिद्दीकी (मोना सिंह) केसेज सुलझाने के लिए उसकी सेवाएं लेती रहती है। 30-35 मिनट के हर एपिसोड के दौरान अरमान एक केस क्रैक करता है, इसमें एक नेता, एक ड्रग डीलर, एक गजल गायक, एक बिजनेसमैन आदि से जुड़े केस सामने आते हैं।

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Image of scene from the film Maa

Maa

Horror (Hindi)

Sat, June 28 2025

जब बच्चे पर आंच आती है, तो एक मां चंडी बन जाती है, इस विषय पर श्रीदेवी की ‘मॉम’ से लेकर रवीना टंडन की ‘मातृ’ जैसी फिल्में आ चुकी हैं, वहीं अब काजोल अपनी नई फिल्म ‘मां’ में भी ममत्व के इसी रूप को पर्दे पर उतार रही हैं। अंतर यह है कि ‘मॉम’ और ‘मातृ’ जहां रिवेंज ड्रामा थीं, ‘मां’ हॉरर जॉनर की फिल्म है, जिसमें एक मां अपनी बच्ची को दोइत्तो यानी राक्षस के चंगुल से बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देती है। कहानी कोलकाता के चंदरपुर से शुरू होती है, जहां मां काली की पूजा के बीच एक मां प्रसव पीड़ा से गुजर रही होती है। माहौल में टेंशन है, क्योंकि इस परिवार में जन्मी बेटियों को जंगल ले जाकर दोइत्तो (राक्षस) के सामने कुर्बानी देने की प्रथा है। इसलिए, उस दिन जन्मी बच्ची भी कुर्बान हो जाती है, जबकि उसका जुड़वा भाई शुभांकर (इंद्रनील सेनगुप्ता) इस खूनी रिवाज मानने वाले अपने पुरखों और गांव से दूर शहर जाकर पत्नी अंबिका (काजोल) और बेटी श्वेता (केरिन शर्मा) के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रहा होता है। 12 वर्षीय श्वेता का गांव जाने का बहुत मन होता है, पर शुभांकर उसे उस जगह की परछाई से भी दूर रखता है। यहां तक कि पिता के गुजरने पर भी वह अकेला गांव जाता है।

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Image of scene from the film Materialists

Materialists

Romance, Drama, Comedy (English)

प्रेम त्रिकोण के बहाने भौतिकवाद पर कटाक्ष

Sat, June 14 2025

कहते हैं कि जोड़ियां आसमान में बनती हैं, मगर जब जमीं पर जीवनभर का रिश्ता जोड़ने यानी शादी की बात आती है, तो ज्यादा अहम क्या होना चाहिए? दिलों का तार जुड़ना या रूप-रंग, पढ़ाई-कमाई, उम्र-कद जैसी कैलकुलेशन? इस जटिल सवाल का बड़े ही सरल तरीके से पड़ताल करती है, डकोटा जॉनसन, क्रिस इवांस, पेड्रो पास्कल की बेहतरीन अदाकारी से सजी फिल्म ‘मटीरियलिस्ट्स’। कहानी एक स्मार्ट और महत्वाकांक्षी मैच मेकर लूसी (डकोटा जॉनसन) की है। अपने काम में बेहद माहिर लूसी का मानना है कि शादी एक डील है, जहां लड़के-लड़की की चेकलिस्ट का मैच होना ज्यादा मायने रखता है। इस चेकलिस्ट मिलान में अपनी काबिलियत की बदौलत वह 9 जोड़ों की शादी करवा चुकी है। लूसी का अपने लाइफ पार्टनर के लिए एक ही मापदंड है कि वह बेहिसाब पैसे वाला हो। उसे हैरी (पेड्रो पास्कल) के रूप में 12 मिलियन डॉलर के अपार्टमेंट में रहने वाला पैदाइशी रईस, साथ में सज्जन, स्मार्ट और छह फिट से भी लंबा, यानी मैचमेकिंग की दुनिया में यूनिकॉर्न बंदा मिल जाता है। पर एक झोल है।

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