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Deepak Dua

Independent Film Journalist & Critic

Deepak Dua is a Hindi Film Critic honored with the National Award for Best Film Critic. An independent Film Journalist since 1993, who was associated with Hindi Film Monthly Chitralekha and Filmi Kaliyan for a long time. The review of the film Dangal written by him is being taught in the Hindi textbooks of class 8 and review of the film Poorna in class 7 as a chapter in many schools of the country.

All reviews by Deepak Dua

Image of scene from the film Sikandar Ka Muqaddar

Sikandar Ka Muqaddar

Thriller, Crime, Mystery, Action (Hindi)

बर्बाद है

Mon, December 2 2024

चलो-चलो इक फिल्म बनाएं, नाम कैची-सा ढूंढ के लाएं, हीरों की चोरी करवाएं, चोर के पीछे पुलिस दौड़ाएं, चूहे-बिल्ली का खेल दिखाएं, अंत में एक ट्विस्ट ले आएं, पब्लिक को मूरख मान जबरन अपनी थ्योरी पकड़ाएं, चलो-चलो इक फिल्म बनाएं। सोच कर ही रोंगटे हरकत में आने लगते हैं कि नीरज पांडेय जैसे थ्रिलर बनाने में उस्ताद समझे जाने वाले निर्देशक की फिल्म में 50-60 करोड़ के हीरे चोरी होंगे, शक तीन लोगों पर जाएगा, अपनी मूल वृत्ति यानी इंस्टिंक्ट पर हद से ज़्यादा गुमान करने वाला एक पुलिस अफसर आकर केस सुलझाएगा लेकिन इस काम में 15 साल बीत जाएंगे और फिर एक ऐसा ट्विस्ट आएगा कि बस…!

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Image of scene from the film Vijay 69

Vijay 69

Drama, Comedy (Hindi)

बचकाना, मनमाना ‘विजय 69’

Sun, November 10 2024

69 की उम्र में विजय मैथ्यू को अहसास होता है कि उसने पूरे जीवन में आखिर किया क्या? कल को वह मर गया तो लोग उसकी तारीफ में क्या बोलेंगे? वह तय करता है कि वह ट्रायथलन में हिस्सा लेगा और 67 की उम्र में ट्रायथलन पूरी कर चुके किसी शख्स का रिकॉर्ड तोड़ेगा। ट्रायथलन यानी एक साथ डेढ़ किलोमीटर स्विमिंग, 40 किलोमीटर साइक्लिंग और दस किलोमीटर की दौड़। क्या विजय यह सब कर पाएगा? कर ही लेगा क्योंकि सपनों की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती। चलिए जी, यह तो हुई कहानी की बात। इस किस्म की फिल्मों की कहानियां तो प्रेरक होती ही हैं। इसकी भी है। लेकिन ऐसी फिल्मों में कहानी से बढ़ कर होता है उसका ऐसा वाला प्रेज़ेंटेशन जो दर्शकों के रोंगटे खड़े कर दे, उनके दिलों में भावनाओं का ज्वार पैदा कर दे, उनका दिमाग झंझोड़ दे और जिसे देख कर लगे कि अगर इस फिल्म के हीरो की तरह हमने यह नहीं किया तो फिर क्या किया। लेकिन अफसोस यह फिल्म इस मोर्चे पर नाकाम रही है, बुरी तरह से। दिक्कत असल में इस फिल्म की लिखाई के साथ है। अक्षय रॉय ने कहानी का आइडिया तो अच्छा सोच लिया और उसे ट्रायथलन के साथ जोड़ कर अच्छा विस्तार भी दे दिया लेकिन उसी कहानी को एक स्क्रिप्ट के तौर पर बुनते और उसमें किस्म-किस्म की घटनाओं व किरदारों को चुनते समय वह फैल गए और नतीजे के तौर पर जो बन कर आया वह न सिर्फ रूखा है बल्कि सूखा भी है और पिलपिला भी।

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Image of scene from the film The Midwife's Confession

The Midwife's Confession

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चौंकाती, दहलाती ‘द मिडवाइफ्स कन्फैशन’

Mon, November 4 2024

‘लड़की के मुंह में नमक डाल कर मुंह दबा देते थे, या फिर यूरिया खाद डाल देते थे, कई बार गर्दन पकड़ कर भी मरोड़ देते थे तो बच्ची मर जाती थी।’ बिहार के गांवों में दाई का काम करने वाली महिलाएं जब यह कहती हैं तो सुन कर दिल दहल जाता है। सच तो यह है कि बी.बी.सी. के यू-ट्यूब चैनल पर आई एक घंटे की डॉक्यूमैंट्री ‘द मिडवाइफ्स कन्फैशन’ (The Midwife’s Confession) देखते हुए दिल एक बार नहीं, कई बार दहलता है, बेचैन होता है, चौंकता है, उछलता है और डूबने भी लगता है।

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Image of scene from the film Bandaa Singh Chaudhary

Bandaa Singh Chaudhary

Action, Thriller (Hindi)

हर ’बंदा’ सिनेमा का ‘चौधरी’ नहीं होता

Mon, November 4 2024

अस्सी के दशक के पंजाब के बारे में मुमकिन है नई पीढ़ी के लोग खुल कर न जानते हों। उन्हें यह न पता हो कि सांझे चूल्हों और साझी विरासत वाली पंजाब की धरती पर उन दिनों फसलों की हरियाली से ज़्यादा बेकसूरों के खून की लाली दिखती थी। कुछ लोग थे जो परायों के बहकावे में आकर अपनों को ही मार रहे थे। जहां एक तरफ हिन्दुओं को चुन-चुन कर मारा जा रहा था और उन्हें पंजाब छोड़ने पर मजबूर किया जा रहता वहीं दूसरी तरफ सिक्ख भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं थे। लेकिन उस माहौल में बंदा सिंह चौधरी जैसे कुछ लोग थे जिन्होंने पलायन करने, डरने या मरने की बजाय मुकाबला करने का रास्ता चुना था। यह फिल्म ’बंदा सिंह चौधरी’ उस एक बंदे के बहाने से ऐसे लोगों के जुझारूपन की कहानी दिखाती है।

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Image of scene from the film Singham Again

Singham Again

Action, Drama, Thriller, Crime (Hindi)

होता दम तो अकेले आता ‘सिंहम’

Mon, November 4 2024

2011 की ‘सिंहम’ तो ज़रूर याद होगी आपको। 2010 में आई इसी नाम की एक कामयाब तमिल फिल्म के इस रीमेक में स्टार के नाम पर कोई था तो सिर्फ अजय देवगन। लेकिन इसके साथ थी एक शानदार ढंग से कही गई कहानी जिसे निर्देशक रोहित शैट्टी ने अपने कसे हुए निर्देशन और ज़बर्दस्त एक्शन दृश्यों से ऐसा बना दिया था कि अब उस फिल्म की गिनती हिन्दी सिनेमा की कल्ट फिल्मों में होती है। लेकिन जैसा कि अपने यहां भेड़चाल है कि एक फिल्म हिट हो जाए तो उसका सीक्वेल ले आओ, सीक्वेल न बनता हो तो फ्रेंचाइज़ी ले आओ, ज़रूरत हो या न हो, उसमें ठूंस-ठूंस कर मसाले डाल दो, फिर अगल-बगल की फिल्मों के किरदार पकड़ लाओ और अपना खुद का एक ‘मसाला यूनिवर्स’ बना दो। रोहित शैट्टी तो वैसे भी इस काम में माहिर रहे हैं। एक तरफ ‘गोलमाल’ की कॉमेडी और दूसरी तरफ ‘सिंहम’, ‘सिंबा’, ‘सूर्यवंशी’ की मारधाड़ वाले दो यूनिवर्स खड़े कर चुके रोहित इस जन्म में कुछ नया न भी करें तो ये दोनों यूनिवर्स ही उन्हें और उनके कलाकारों को ब्रेड-बटर खिलाने के लिए काफी रहेंगे।

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Image of scene from the film Bhool Bhulaiyaa 3

Bhool Bhulaiyaa 3

Horror, Comedy (Hindi)

रंगबिरंगी, मसालेदार, टाइमपास

Mon, November 4 2024

2007 की ‘भूल भुलैया’ तो ज़रूर याद होगी आपको। तर्क की कसौटी पर कसी हुई प्रियदर्शन निर्देशित वह फिल्म एक सायक्लोजिकल सस्पैंस-थ्रिलर थी जिसे आज हम हिन्दी की क्लासिक फिल्मों में गिनते हैं। उसके 15 साल बाद आई ‘भूल भुलैया 2’ को उस फिल्म के कंधे पर सवार होकर सिर्फ और सिर्फ इसलिए बनाया गया था ताकि नोट बटोरे जा सकें। वह फिल्म पिछली वाली का सीक्वेल नहीं बल्कि उसी कड़ी की एक फ्रेंचाइज़ी फिल्म थी जिसमें मंजुलिका को भूतनी दिखा कर लोगों को डराया और कुछ मसखरे जोड़ कर लोगों को हंसाया गया था। अनीस बज़्मी के निर्देशन में आई उस फिल्म को आज हम भले ही एक सफल फिल्म कहें लेकिन थी वह एक औसत दर्जे की मसाला फिल्म ही। अब अनीस के ही निर्देशन में आई यह ‘भूल भुलैया 3’ (Bhool Bhulaiyaa 3) भी ऐसी ही है-हॉरर और कॉमेडी का मसाला लपेट कर आई एक औसत फिल्म जो कुछ पल को हंसाएगी, डराएगी, नोट बटोरेगी मगर इज़्ज़त नहीं कमा पाएगी।

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Image of scene from the film Jigra

Jigra

Crime, Drama, Thriller (Hindi)

सिर्फ ‘जिगरा’ है, दिमाग नहीं

Sun, October 13 2024

भारत से अमीर परिवार के दो लड़के एक बिज़नेस ट्रिप पर एक छोटे-से देश में गए हैं। वहां एक लड़के की जेब से ड्रग्स मिलती है और इल्ज़ाम दूसरे लड़के पर आ जाता है। उस देश में इस अपराध की एक ही सज़ा है-मौत। लेकिन उस लड़के की बहन आ पहुंची है उसे बचाने। कानून का सहारा उसके काम नहीं आता तो वह जेल तोड़ने का इरादा कर लेती है। तोड़ पाती है वह जेल? बचा पाती है अपने भाई को? कैसे करेगी वह इतना बड़ा काम?

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Image of scene from the film Vicky Vidya Ka Woh Wala Video

Vicky Vidya Ka Woh Wala Video

Comedy (Hindi)

विकी विद्या के वीडियो का कॉमेडी वाला रायता

Fri, October 11 2024

1997 का ऋषिकेश शहर। विकी-विद्या शादी के बाद हनीमून के लिए गोआ गए जहां इन्होंने अपने अंतरंग पलों का एक वीडियो बनाया। घर लौट कर उस वीडियो की सीडी देखी, खुश हुए और सो गए। उसी रात एक चोर इनके घर से सीडी प्लेयर चुरा ले गया। उसी में थी वह सीडी जिसमें था इनका ‘वो वाला वीडियो’। अब अगर वह वीडियो दुनिया के सामने आ गया तो…? यहां से शुरू हुई तलाश। तो क्या इन्हें मिल पाया वह चोर…? वह सीडी प्लेयर…? वह वीडियो…?

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