/images/members/Deepak Dua.png

Deepak Dua

Independent Film Journalist & Critic

Deepak Dua is a Hindi Film Critic honored with the National Award for Best Film Critic. An independent Film Journalist since 1993, who was associated with Hindi Film Monthly Chitralekha and Filmi Kaliyan for a long time. The review of the film Dangal written by him is being taught in the Hindi textbooks of class 8 and review of the film Poorna in class 7 as a chapter in many schools of the country.

All reviews by Deepak Dua

Image of scene from the film Chhath

Chhath

(Hindi)

रिश्तों की चाशनी में पगी ‘छठ’

Tue, October 28 2025

बिहार का एक गांव। गोविंद जी का परिवार बहुत खुश हैं। इस बार छठ के अवसर पर 25 साल बाद उनके घर में पूरे परिवार का जुटान हो रहा है। तीन बहनें, जीजा, बच्चे और उनका सबसे प्यारा भतीजा मोहित व उसकी पत्नी जो अमेरिका से आ रहे हैं। सब मिलते हैं तो चुहलबाजियां होती हैं, हंसी-मज़ाक होता है, थोड़ी छींटाकशी भी होती है। लेकिन तभी आड़े आ जाती है एक ऐसी बात कि पूरे घर का माहौल बदल जाता है। एक छत के नीचे दो गुट बन जाते हैं। रिश्ते टूटने की नौबत आ जाती है। और फिर सामने आता है एक दबा हुआ सच। क्या सब सही हो पाता है या फिर…!

Continue Reading…

Image of scene from the film Thamma

Thamma

Comedy, Horror (Hindi)

वेताल की बे-ताल कहानी ‘थामा’

Wed, October 22 2025

छपरी किस्म का टी.वी. रिपोर्टर आलोक गोयल जंगल में घूमने जाता है जहां उसके पीछे भालू पड़ जाता है। एक रहस्यमयी लड़की उसे बचाती है। तभी कुछ लोग उसे उठा कर ले जाते हैं और एक बार फिर वही लड़की उसे बचाती है। इन दोनों में प्यार हो जाता है। लेकिन यह लड़की इंसान नहीं, वेताल है। वेताल, यानी चलते-फिरते प्रेत, जो बरसों पहले इंसानी खून पीते थे लेकिन अब इंसानों को बचाने का काम करते हैं। आलोक इस लड़की को लेकर अपने घर दिल्ली आ जाता है तो पीछे-पीछे कुछ वेताल भी आ जाते हैं। वैसे भी अब आलोक इंसान नहीं रहा, वेताल बन चुका है।

Continue Reading…

Image of scene from the film Bhagwat Chapter One: Raakshas

Bhagwat Chapter One: Raakshas

Thriller (Hindi)

दहाड़ नहीं पाता यह ‘भागवत’

Fri, October 17 2025

उत्तर प्रदेश के गुस्सैल ए.सी.पी. विश्वास भागवत को क्राइम ब्रांच से हटा कर रॉबर्ट्सगंज भेजा गया है। शहर में एक लड़की के गायब होने से बवाल मचा हुआ है। भागवत का वादा है कि वह 15 दिन में उसे तलाश लेगा। अपनी तफ्तीश में उसे पता चलता है कि सिर्फ वह लड़की ही नहीं बल्कि कुल 19 लड़कियां लापता हैं। पुलिस शक में एक युवक को उठाती है लेकिन उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है। भागवत को यकीन है कि यही राक्षस है लेकिन वह शातिर कुछ और ही पैंतरे आजमा रहा है। अचानक कुछ ऐसा होता है कि…! ज़ी-5 पर आई इस फिल्म ‘भागवत चैप्टर 1-राक्षस’ की कहानी में दम है। कहानी के आवरण को भी दिलचस्प ढंग से तैयार किया गया है जिससे उत्सुकता बनी रहती है। एक लड़की के लापता होने के बाद लगातार नए-नए नामों का जुड़ते चले जाना रहस्य को बढ़ाता है। उधर इस कथा के समानांतर एक युवक-युवती की परवान चढ़ती प्रेम-कहानी इस रहस्य में नया एंगल जोड़ती चलती है। लेकिन यह कहानी उतनी दिलचस्प, कसी हुई और पैनी बन नहीं पाई है जितनी होनी चाहिए थी या हो सकती थी।

Continue Reading…

Image of scene from the film Kantara A Legend: Chapter 1

Kantara A Legend: Chapter 1

Action, Thriller (Kannada)

रहस्यमयी मधुबन में ले जाती ‘कांतारा-चैप्टर 1’

Tue, October 7 2025

तीन साल पहले कन्नड़ से हिन्दी में डब होकर आई थी ‘कांतारा’। एक लोक-कथा के मिश्रण में मूल निवासियों के जंगल पर अधिकार के संघर्ष, अमीर-गरीब और ऊंची-नीची जाति के भेदभाव और दैवीय न्याय को दिखाती वह फिल्म सीक्वेल की संभावना के साथ खत्म हुई थी। लेकिन जब इसके निर्देशक-अभिनेता ऋषभ शैट्टी ने ऐलान किया कि वह उसका सीक्वेल नहीं बल्कि प्रीक्वेल लाएंगे तो उत्सुकता और बढ़ गई थी। अब आई ‘कांतारा-चैप्टर 1’ उस बढ़ी हुई उत्सुकता को पूरी तरह से शांत करती है।

Continue Reading…

Image of scene from the film Homebound

Homebound

Drama (Hindi)

हक और पहचान मांगती ‘होमबाउंड’h

Sat, September 27 2025

‘होमबाउंड’ इस साल भारत की ओर से ऑस्कर पुरस्कार के लिए ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजी गई है। 2015 में अपनी पहली फिल्म ‘मसान’ से प्रशंसाएं पाकर सबकी नजरों में आए निर्देशक नीरज घेवान की इस फिल्म को कान और टोरंटों जैसे प्रतिष्ठित फिल्मोत्सवों में सराहना मिल चुकी है।

Continue Reading…

Image of scene from the film Bad Girl

Bad Girl

Romance, Drama (Tamil)

ठेंगा दिखाती ‘बैड गर्ल’

Thu, September 25 2025

एक लड़की है स्कूल में जिसके लिए ब्वॉय फ्रैंड बनाना पहली प्राथमिकता है। उसकी मां उसी स्कूल में टीचर है लेकिन वह लड़की रूल्स तोड़ना अपना हक समझती है। पढ़ाई की बजाय उसका ध्यान लड़कों में रहता है। मां-बाप समझाते हैं तो वह उन्हें धमकियां देती है। स्कूल के बाद कॉलेज, कॉलेज के बाद नौकरी करते हुए भी वह बदलती नहीं है। नियमों और परंपराओं से बगावत उसकी फितरत है। लोगों की नज़रों में ऐसी लड़कियां खराब होती हैं। वह भी ‘बैड गर्ल’ है। लेकिन अपनी नज़र में वह सही है, बिल्कुल सही।

Continue Reading…

Image of scene from the film Jolly LLB 3

Jolly LLB 3

Drama, Comedy (Hindi)

‘म्हारी ज़मीन म्हारी मर्ज़ी’ की बात करती ‘जॉली एल.एल.बी. 3’

Sat, September 20 2025

लेखक-निर्देशक सुभाष कपूर ने 2013 में आई ‘जॉली एल.एल.बी.’ में एक हिट एंड रन केस के बहाने से सिस्टम की खामियों पर बात की थी। उस फिल्म के रिव्यू में मैंने लिखा था कि जब आप के हाथ में हथौड़ा हो तो चोट भी ज़ोरदार करनी चाहिए। यह चोट उन्होंने 2017 में आई ‘जॉली एल.एल.बी. 2’ में एक फेक एनकाऊंटर के बहाने से सचमुच बड़े ही ज़ोरदार ढंग से की थी। इस फिल्म को मैंने एक ‘करारा कनपुरिया कनटॉप’ बताया था। अब इस तीसरी वाली ‘जॉली एल.एल.बी. 3’ में सुभाष कपूर ने अपने पंखों को फैलाया है और विकास के नाम पर आम लोगों के साथ होने वाली संगठित धोखाधड़ी को दिखाने का प्रयास किया है। यह कहानी है राजस्थान के परसौल नाम के एक ऐसे गांव की जहां एक बड़ा प्रोजेक्ट बनाने के लिए एक बिज़नेस ग्रुप किसानों से ज़मीन खरीद रहा है। इस काम में स्थानीय नेताओं से लेकर प्रशासन तक उसका मददगार है। कुछ ने ज़मीन अपनी मर्ज़ी से बेची तो किसी की हथिया ली गई। जिसने विरोध किया उसकी आवाज़ दबा दी गई। ऐसे ही एक किसान की खुदकुशी के बाद उसकी विधवा ने दिल्ली की अदालत में दस्तक दी जहां उसे मिले वकील जगदीश त्यागी उर्फ जॉली और जगदीश्वर मिश्रा उर्फ जॉली। इन दो जॉलियों और उस पूंजीपति की तिकड़मों की भिड़ंत के बहाने से यह फिल्म हमें ‘विकास’ के नाम पर होने वाली साज़िशों और सिस्टम की चालों को न सिर्फ करीब से दिखाती है बल्कि उन पर करारी टिप्पणियां करते हुए एक बार फिर उस उम्मीद को ज़िंदा रखती है कि अभी भी हमारे चारों तरफ सब कुछ मरा नहीं है।

Continue Reading…

Image of scene from the film Inspector Zende

Inspector Zende

Comedy, Drama (Hindi)

झंडू फिल्म बना दी ‘इंस्पैक्टर झेंडे’

Sun, September 7 2025

70 के दशक में ‘बिकनी किलर’ के नाम से मशहूर हुए और दिल्ली की तिहाड़ जेल से कैदियों व स्टाफ को नशीला खाना खिला कर फरार हुए कुख्यात अपराधी चार्ल्स शोभराज पर दुनिया भर में किताबें लिखी गईं और उसकी कहानी को सिनेमा में भी उतारा गया। तो नेटफ्लिक्स पर आई इस फिल्म में नया क्या हो सकता है? जवाब है-यह फिल्म चार्ल्स की बजाय मुंबई पुलिस के उन इंस्पैक्टर मधुकर झेंडे के बारे में है जिन्होंने चार्ल्स को पहले 1971 में पकड़ा था और फिर 1986 में उसके तिहाड़ से भागने के बाद गोआ से। चूंकि चार्ल्स ने अपनी कहानी के अधिकार यहां-वहां बेचे हुए हैं इसलिए इस फिल्म में सिर्फ इंस्पैक्टर झेंडे का नाम असली है और बाकी सब के नाम, काम बदल दिए गए हैं। मसलन चार्ल्स शोभराज यहां कार्ल भोजराज है, ‘बिकनी किलर’ की बजाय ‘स्विमसूट किलर’ है, नशीले खाने की बजाय नशीली खीर है, वगैरह-वगैरह…! लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है, कहानी मज़ेदार होनी चाहिए, काल्पनिक हो या वास्तविक। और बस, यहीं आकर यह फिल्म मात खा गई है क्योंकि इसे ‘मज़ेदार’ बनाने के लिए जो रंग-ढंग चुने गए हैं उससे यह हल्की, कमज़ोर और उथली हुई है।

Continue Reading…

Latest Reviews

Image of scene from the film The Great Shamsuddin Family
FCG Rating for the film The Great Shamsuddin Family: 69/100
The Great Shamsuddin Family

Comedy, Drama (Hindi)

Set over one day in Delhi, Bani, a writer, is racing against a career-defining 12-hour deadline.… (more)

Image of scene from the film Sholay
Sholay

Action (Hindi)

After his family is murdered by the notorious bandit Gabbar Singh, a former police officer enlists… (more)

Image of scene from the film Saali Mohabbat
Saali Mohabbat

Drama (Hindi)

A small-town housewife, Smita, is devastated to find her husband and cousin dead. What happens when… (more)

Image of scene from the film Single Papa
FCG Rating for the film Single Papa: 50/100
Single Papa

Comedy, Drama (Hindi)

When Gaurav finds a baby in the back of his car, he must defy his eccentric… (more)