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Deepak Dua

Independent Film Journalist & Critic

Deepak Dua is a Hindi Film Critic honored with the National Award for Best Film Critic. An independent Film Journalist since 1993, who was associated with Hindi Film Monthly Chitralekha and Filmi Kaliyan for a long time. The review of the film Dangal written by him is being taught in the Hindi textbooks of class 8 and review of the film Poorna in class 7 as a chapter in many schools of the country.

All reviews by Deepak Dua

Image of scene from the film War 2

War 2

Action, Adventure, Thriller (Hindi)

एक्शन मस्त कहानी पस्त

Fri, August 15 2025

करीब छह बरस पहले जब सिद्धार्थ आनंद के निर्देशन में हृतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ वाली फिल्म ‘वॉर’ आई थी तो मैंने उसके रिव्यू में लिखा था-‘‘यह फिल्म पूरी तरह से पैसा वसूल एंटरटेनमैंट परोसती है। इसे ‘जानदार’ या ‘शानदार’ से ज़्यादा इसके ‘मज़ेदार’ होने के लिए देखा जाना चाहिए।’’ दरअसल इस किस्म की फिल्में दर्शक को एक ऐसे आभासी संसार में ले जाती हैं जिनके बारे में हमें पता होता है कि इसमें जो दिखाया जा रहा है वैसा न हुआ है, न हो सकता है। लेकिन पर्दे पर दिख रहे इस संसार की रंगीनियां, मस्ती, चमक-दमक और रफ्तार हमें ‘मज़ेदार’ लगती हैं और हम कुछ घंटों के लिए उनमें खो-से जाते हैं। सस्पैंस, रोमांच, एक्शन और आंखों को भाने वाले दृश्यों का जो आभामंडल इस किस्म की फिल्में रचती हैं, वह हमें लुभाता है और ‘बॉलीवुड’ इन्हीं मसालों को हमें बार-बार परोस कर हमें खुश और खुद को अमीर बनाता है। लेकिन कभी ऐसा भी होता है कि इन मसालों की खुशबू और क्वालिटी उतनी दमदार नहीं बन पाती कि हमारे दिल में गहरे उतर सके। ‘वॉर 2’ में यही हुआ है।

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Image of scene from the film Dhadak 2

Dhadak 2

Romance, Drama (Hindi)

नीले चश्मे से देखिए ‘धड़क 2’

Sat, August 2 2025

‘‘ऊंची जात की अमीर लड़की। नीची जात का गरीब लड़का। आकर्षित हुए, पहले दोस्ती, फिर प्यार कर बैठे। घर वाले आड़े आए तो दोनों भाग गए। जिंदगी की कड़वाहट को करीब से देखा, सहा और धीरे-धीरे सब पटरी पर आ गया। लेकिन…!’’ यह कहानी थी 2018 में आई ‘धड़क’ की जो मराठी की ‘सैराट’ का रीमेक थी। लेकिन वह रीमेक भी ईमानदार नहीं था क्योंकि ‘धड़क’ बड़ी ही आसानी से अमीर-गरीब या ऊंच-नीच वाले विषय पर ठोस बात कह सकती थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं था और वह फिल्म एक ऐसा आम, साधारण प्रॉडक्ट ही बन कर रह गई थी। ‘धड़क 2’ भी रीमेक है। इस बार 2018 में आई निर्माता पा. रंजीत की एक तमिल फिल्म को चुना गया है। पा. रंजीत अपनी फिल्मों में दलित विमर्श को उठाने के लिए जाने जाते हैं। यह फिल्म भी वही करने की ‘कोशिश’ करती है। लेकिन यह कोशिश सतही है और उथली भी क्योंकि इसमें ‘विमर्श’ की बजाय विचारों की जबरन थोपा-थोपी ज़्यादा दिखाई गई है।

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Image of scene from the film Son of Sardar 2

Son of Sardar 2

Comedy, Drama (Hindi)

न दमदार न बेकार ‘सन ऑफ सरदार 2’

Sat, August 2 2025

2012 में दिवाली के मौके पर आई अजय देवगन वाली ‘सन ऑफ सरदार’ (Son of Sardaar) दक्षिण के मशहूर निर्देशक एस.एस. राजमौली की तेलुगू फिल्म ‘मर्यादा रामन्ना’ का रीमेक थी जिसे हिन्दी में अश्विनी धीर ने डायरेक्ट किया था। चूंकि रीमेक आमतौर पर ऐसी फिल्मों के ही बनते हैं जिनकी कहानी में दम हो, तो उस फिल्म में बाकायदा एक कहानी थी जो एक सिरे से दूसरे सिरे तक जा रही थी। यह अलग बात है कि उस फिल्म में मूल तेलुगू फिल्म की गहरी और प्रभावी बातों को दरकिनार कर सिर्फ कॉमेडी और एक्शन पर ही सारा ज़ोर डाला गया था। फिर भी स्क्रिप्ट में गति थी और जो हो रहा था, फटाफट हो रहा था और उस फिल्म ने आपको बोर नहीं किया था। ‘सन ऑफ सरदार 2’ (Son of Sardaar 2) उस फिल्म का सीक्वेल तो नहीं ही है, होती तो आने में 12 साल न लगाती। इस फिल्म में एक ऐसी कहानी जबरन गढ़ी गई है जिसके केंद्र में अजय देवगन का ‘सन ऑफ सरदार’ जैसा किरदार हो, उस फिल्म जैसा पंजाबियों का माहौल हो ताकि इसका नाम ‘सन ऑफ सरदार 2’ रख कर पिछली फिल्म की सफलता और लोकप्रियता को भुनाया जा सके। अपने यहां यह चलन अब ज़ोर पकड़ चुका है कि एक फिल्म के कंधे पर दूसरी फिल्म का बोझ रखना हो तो वैसी-सी कोई कहानी ले आओ, न मिले तो बना डालो। तो, यह वाली ‘सन ऑफ सरदार 2’ की कहानी ‘लाई’ नहीं ‘बनाई’ गई है और यह बात फिल्म शुरू होने के कुछ ही देर में तब समझ आ जाती है जब ज़्यादातर किरदार और बातें जबरन घुसेड़ी गई लगती हैं।

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Image of scene from the film Rangeelee

Rangeelee

Drama, Crime (Haryanvi)

अंधेरे में रोशनी बिखेरती ‘रंगीली’

Sun, July 27 2025

हरियाणवी सिनेमा का स्थापित नाम हैं संदीप शर्मा। अक्सर वह हिन्दी फिल्मों में भी दिख जाते हैं। अब वह अपनी ही लिखी कहानी पर यह हरियाणवी फिल्म ‘रंगीली’ लेकर आए हैं जो हरियाणवी कंटैंट के लोकप्रिय ओ.टी.टी. मंच ‘स्टेज’ पर रिलीज़ हुई है। हरियाणवी सिनेमा में हाल के बरसों में जो अच्छा कंटैंट आने लगा है उसके पीछे स्टेज जैसे ऐप का बड़ा हाथ है। यह फिल्म भी उसी अच्छे कंटैंट की एक मिसाल है। यह कहानी है एक विधुर पिता और उसके दो जवान बेटों की जो मेहनत-मज़दूरी करके अपना पेट पालते हैं। एक लड़की को बलात्कारी से बचाते हुए दोनों बेटे अंधे हो जाते हैं। लेकिन न तो पिता हार मानता है और न ही बेटे। एक-दूसरे का सहारा बन कर ये लोग अपनी ज़िंदगी के अंधेरे को रंगीनी में बदलते हैं। संदीप शर्मा की लिखी कथा, पटकथा अच्छी है जिसमें मुश्किल वक्त में हिम्मत न हारने की सीख तो है ही, पिता और बेटों के आपसी प्यार का भी गहराई से चित्रण किया गया है। संदीप व वी.एम. बेचैन के के लिखे संवाद सटीक हैं और फिल्म को दिलचस्प व गाढ़ा बनाते हैं। फिल्म का अंत थोड़ा जल्दबाजी में बुना गया लगता है। क्लाइमैक्स को साध कर इस फिल्म को और अधिक असरदार बनाया जा सकता था।

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Image of scene from the film Sarzameen

Sarzameen

Drama, Thriller (Hindi)

फिल्मी ‘सरज़मीन’ पर नेपो किड्स का मिशन

Fri, July 25 2025

फिर ये ‘बॉलीवुड’ वाले कलपते हैं कि हमारे बच्चों को ‘नेपो किड्स’ मत कहिए, हम उन्हें नेपोटिज़्म के चलते फिल्में नहीं देते हैं बल्कि उनका टेलेंट देख कर काम देते हैं। तो भैया करण जौहर जी, ज़रा यह बताइए कि सैफ अली खान के सुपुत्र इब्राहीम अली खान का कौन-सा टेलेंट देख कर आपने उन्हें एक साथ ‘नादानियां’ और ‘सरज़मीन’ (Sarzameen) जैसी बड़ी फिल्मों में लिया? मार्च, 2025 में आई ‘नादानियां’ में इब्राहीम के ‘टेलेंट’ को तो आप ‘देख’ ही चुके होंगे। रही-बची कसर अब ‘सरज़मीन’ में दिख गई है। ‘सरज़मीन’ का निर्देशन आपने अभिनेता बोमन ईरानी के बेटे कायोज़ ईरानी को दिया। चलिए, वह तो कुछ फिल्मों में असिस्टैंट और ‘अजीब दास्तान्स’ की एक कहानी को अच्छे-से डायरेक्ट कर भी चुके हैं। लेकिन ‘सरज़मीन’ में उनके डायरेक्शन का ‘टेलेंट’ और उससे भी बढ़ कर किसी कथा-पटकथा को चुनने व उसे फिल्माने की उनकी प्रतिभा देख कर आपको सोचना होगा कि आप कैसे-कैसों पर भरोसा करने लगे हैं। कश्मीर की पृष्ठभूमि पर लिखी गई इस कहानी में एक आर्मी अफसर है जिसका मानना है कि सरज़मीन की सलामती से बढ़ कर कुछ भी नहीं, बेटा भी नहीं। ऐसे में वह झूल रहा है फर्ज़ और मोहब्बत के बीच। एक दिन वही बेटा उसके सामने आ खड़ा होता है। उधर उसकी पत्नी इन दोनों के बीच पुल बनाने का काम कर रही है।

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Image of scene from the film Sant Tukaram

Sant Tukaram

Drama (Hindi)

भक्ति रस से सराबोर ‘संत तुकाराम’

Sat, July 19 2025

17वीं शताब्दी के महाराष्ट्र में आए भक्त-कवि, समाज सुधारक, संत तुकाराम के परिवार का संबंध भगवान विष्णु के अवतार माने गए विट्ठल या विठोबा की उपासना करने वाले वारकरी समुदाय से था। उनसे पूर्व इस समुदाय में संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर व संत एकनाथ का नाम बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है। अपने पूर्ववर्ती भक्त-कवियों, संतों की भांति उन्होंने भी विट्ठल की स्तुति में भक्ति काव्य रचा जिसे ‘अभंग’ कहा जाता है। यह फिल्म ‘राम कृष्ण हरि…’ जपने वाले उन्हीं संत तुकाराम की भक्तिमय कहानी दिखाती है। संत तुकाराम के जीवन पर फिल्में हमेशा से बनती आई हैं। 1921 में बनी मूक फिल्म ‘संत तुकाराम’ और 1936 में प्रभात फिल्म कंपनी से आई विष्णुपंत गोविंद दामले निर्देशित मराठी फिल्म ‘संत तुकाराम’ से लेकर आज तक विभिन्न भाषाओं में संत तुकाराम के जीवन का चित्रण सिनेमा में हुआ। लेकिन विडंबना यही है कि नई पीढ़ी के दर्शक आज भी महाराष्ट्र के बाहर उन्हें कम ही जानते हैं। ऐसे में हिन्दी में इस किस्म का सिनेमा आकर जब ज्ञानवर्धन के साथ-साथ भक्ति रस का संचार करता है तो वह सार्थक हो उठता है।

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Image of scene from the film Tanvi the Great

Tanvi the Great

Drama (Hindi)

मुश्किलों की चौखट लांघती ‘तन्वी द ग्रेट’

Fri, July 18 2025

तन्वी एक खूबसूरत युवती है। दिल्ली में अपनी मां के साथ रहती है। मीठा गाना गाती है। किस्म-किस्म की जानकारी जुटाना और उसे याद रखना उसकी आदत है। लेकिन वह ‘नॉर्मल’ नहीं है। वह ‘अलग’ है। ‘अलग’ है लेकिन किसी से ‘कमतर’ नहीं है यानी ‘डिफरेंट बट नो लैस’। दरअसल उसे ‘ऑटिज़्म’ है। (‘ऑटिज़्म’ यानी एक ऐसी अवस्था जिसमें इंसान के मस्तिष्क के विकास को नियंत्रित करने वाले धागे कुछ अलग, कुछ कमज़ोर, कुछ उलझे हुए होते हैं जिसके चलते उसका व्यवहार, उसकी आदतें, रूचियां, प्रतिक्रियाएं, सीखने की क्षमता आदि आम लोगों के मुकाबले कुछ अलग होती हैं, कभी कम तो कभी ज़्यादा होती हैं।) तन्वी के फौजी पिता एक हादसे में मारे जा चुके हैं। उसकी मां उसे उसके दादा के पास एक पहाड़ी कस्बे में छोड़ कर विदेश गई है। नई जगह, नए लोग, नया माहौल और तन्वी, जिसे पूरे करने हैं कुछ सपने-कुछ अपने, कुछ अपनों के। लेकिन कैसे? जिस तन्वी को जूतों के फीते तक बांधने में, घर की चौखट तक लांघने में मुश्किल आती है, वह कैसे लांघेगी सपनों के ऊंचे पर्वत…?

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Image of scene from the film Special Ops 2

Special Ops 2

Mystery, Drama, Crime (Hindi)

रोमांच दोगुना मज़ा डबल ‘स्पेशल ऑप्स 2’ में

Fri, July 18 2025

मार्च, 2020 में आए ‘स्पेशल ऑप्स’ (Special Ops) के पहले सीज़न ने अपने प्रति जो दीवानगी हमारे दिलों में जगाई थी उसे नवंबर, 2021 में आई ‘स्पेशल ऑप्स 1.5-द हिम्मत स्टोरी’ ने डेढ़ गुना कर दिया था और तब से इस सीरिज़ के इंतज़ार में दर्शक पलकें बिछाए बैठे हैं। अब जियो हॉटस्टार पर ‘स्पेशल ऑप्स 2’ (Special Ops 2) में जिस तरह से रोमांच का दोहरा जाल बिछाया गया है उसे देखते हुए लगता है कि यह चुनौती नीरज पांडेय, शिवम नायर और उनकी टीम के सामने भी रही होगी कि उन्हें इस बार दर्शकों की उम्मीदों के उस बड़े पहाड़ पर चढ़ना है जिसे खुद उन्होंने ही तैयार किया था। शायद यही कारण है कि इस सीज़न को लाने में इन लोगों ने काफी लंबा वक्त लिया। लेकिन देर आए और बहुत ही दुरुस्त आए वाले स्टाइल में यह सीरिज़ अपने स्तर को बरकरार रखते हुए दर्शकों को रोमांच और आनंद परोस पाने में पूरी तरह से कामयाब रही है। ‘स्पेशल ऑप्स 2’ (Special Ops 2) का ट्रेलर बताता है कि किसी दुश्मन ने भारत के सबसे बड़े ए.आई. वैज्ञानिक को किडनैप कर लिया है। क्या चाहता है वह दुश्मन, इसका जवाब भी ट्रेलर देता है कि उसे भारत के उन सब लोगों के डाटा में घुसना हैं जो अपने मोबाइल पर रोजाना पैसों का लेनदेन करते हैं। कौन है यह दुश्मन और किस के इशारों पर काम कर रहा है? क्या भारतीय खुफिया एजेंसी का सबसे काबिल अफसर हिम्मत सिंह समय रहते उसे रोक पाएगा? यदि हां, तो कैसे, किस तरह…?

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