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Deepak Dua

Independent Film Journalist & Critic

Deepak Dua is a Hindi Film Critic honored with the National Award for Best Film Critic. An independent Film Journalist since 1993, who was associated with Hindi Film Monthly Chitralekha and Filmi Kaliyan for a long time. The review of the film Dangal written by him is being taught in the Hindi textbooks of class 8 and review of the film Poorna in class 7 as a chapter in many schools of the country.

All reviews by Deepak Dua

Image of scene from the film Tere Ishk Mein

Tere Ishk Mein

Romance, Drama, Action (Hindi)

रांझणा बनने चला ‘तेरे इश्क में’

Sat, November 29 2025

लड़की हाथ छुड़ा कर मुड़ी तो उसकी चूड़ी का कांच टूट कर लड़के को ज़ख्म दे गया। ऐसा ज़ख्म कि उसने शहर को फूंकना चाहा। लड़की किसी और से शादी करने चली तो वह उसे श्रॉप दे आया कि शंकर करे तुझे बेटा हो, तुझे भी पता चले कि इश्क में जो मर जाते हैं वो भी किसी के बेटे होते हैं। कहानी की यह झलक बताती है कि यह फिल्म हमें इश्क-मोहब्बत के उन दर्द भरे रास्तों पर ले जाने आई है जिसे देख कर आशिकों के दिल तड़पते हैं और जिन्होंने कभी प्यार न किया हो वे सुकून महसूस करते हैं। फिल्मकार आनंद एल. राय की ‘रांझणा’ भी तो ऐसी ही फिल्म थी जिसमें मुरारी ने कुंदन से कहा था-मर जाओ पंडित। पंडित उस फिल्म में इश्क करते हुए मरा तो इस फिल्म में भी वही रूप धर कर आ गया। वैसे भी सभी दिलजले, बर्बाद आशिकों की सूरत एक जैसी ही हो जाती है।

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Image of scene from the film Gustaakh Ishq

Gustaakh Ishq

Romance, Drama (Hindi)

जाड़ों की नर्म धूप-सा

Fri, November 28 2025

1998 का वक्त। पुरानी दिल्ली में बंद होने के कगार पर खड़ी अपनी प्रिंटिंग प्रैस को बचाने के लिए नवाबुद्दीन रिज़वी जा पहुंचा है पंजाब के मलेरकोटला में शायर अज़ीज़ बेग के पास। सुना है किसी ज़माने में अज़ीज़ मियां मुशायरे लूट लिया करते थे। लेकिन एक ज़ख्म मिला और उन्होंने लिखना ही छोड़ दिया। उनके कलाम भी कभी छप न सके, या कहें कि उन्होंने छपवाए ही नहीं। नवाब चाहता है कि अज़ीज़ साहब उसे अपनी शायरी दे दें। सीधे नहीं कह सकता, सो उनकी शागिर्दी में शायरी सीखने लगता है। लेकिन अज़ीज़ बेग का कहना है कि वो फनकार ही क्या जिसे अव्वल कहलाने के लिए खुद पर बाज़ार की मुहर लगवानी पड़े। इधर अज़ीज़ साहब की शागिर्दी करते हुए उनकी बेटी मन्नत और नवाब का इश्क परवान चढ़ रहा है तो उधर दिल्ली में तंगहाल मुंह बाए खड़ी है। क्या बच पाएगी नवाब की प्रिंटिंग प्रेस? क्या अज़ीज़ बेग अपने कलाम छपवाने पर राज़ी हो जाएंगे? आखिर लिखना क्यों छोड़ा था उन्होंने? क्या नवाब का झूठ पकड़ा जाएगा? मन्नत और नवाब का इश्क मुकम्मल होगा या…!

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Image of scene from the film 120 Bahadur

120 Bahadur

Action, War (Hindi)

मिट्टी पर मिटने वालों की अमिट कहानी

Fri, November 21 2025

1962 का समय। हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे को ठोकर मारते हुए चीन ने भारत की पीठ में खंजर भोंका था। उसी युद्ध में 18 नवंबर, 1962 को लद्दाख के रेज़ांग ला में एक ऐसी अनोखी लड़ाई लड़ी गई थी जिसमें 120 वीर सिपाहियों की चार्ली कंपनी ने मेजर शैतान सिंह की अगुआई में तीन हज़ार चीनी सैनिकों से भिड़ते हुए उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। उस लड़ाई में मात्र 6 सैनिक जीवित बचे थे और मेजर शैतान सिंह समेत बाकी वीरों ने मौत को गले लगाया था। बाद में मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र और उनके सिपाहियों में से आठ को वीर चक्र, एक को अति विशिष्ट सेवा मैडल, चार को सेना पदक व अन्य सम्मान दिए गए। अगर उस दिन ये लोग वहां डट कर नहीं रहते तो चीन भारत में काफी अंदर तक कब्ज़ा कर चुका होता। उन्हीं वीर अहीर सिपाहियों और राजपूत मेजर शैतान सिंह भाटी के अदम्य साहस को सलाम करती है निर्माता फरहान अख्तर की यह फिल्म ‘120 बहादुर’। फरहान अख्तर इसके लिए प्रशंसा के हकदार हैं।

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Image of scene from the film De De Pyaar De 2

De De Pyaar De 2

Comedy, Romance (Hindi)

रिश्तों का एक और रंगीन पंचनामा

Sat, November 15 2025

साढ़े छह बरस पहले आई ‘दे दे प्यार दे’ में 50 बरस के अधेड़ आशीष को 26 बरस की कमसिन आयशा से प्यार हुआ था मगर बीच में आ गए थे आशीष के बीवी-बच्चे जिनसे वह 18 साल पहले अलग हो गया था। आशीष बेचारा असमंजस में फंस गया था कि पुराने रिश्ते निभाए या नए रिश्ते को थामे। लेकिन अंत में सब सुलझ गया था। क्या वाकई…! पहले आशीष आयशा को अपने परिवार से मिलवाने ले गया था और इस बार आयशा उसे अपने घर लाई है अपने परिवार से मिलवाने। यहां बात-बात पर खुद को ‘प्रगतिशील, पढ़े-लिखे, आधुनिक’ कहलवाने वाले उसके माता-पिता हैं जो आशीष से साल-डेढ़ साल ही बड़े हैं। भाई, भाभी, मासी, कज़िन, नानी, भाभी के माता-पिता वगैरह भी हैं। ऐसे में अपने पिता की उम्र के आशीष को वह कैसे सबसे मिलवाए, कैसे यह बताए कि हम दोनों शादी करने वाले हैं…? लेकिन जैसा कि फिल्मों में होता है, अंत में सब सुलझ जाता है। क्या वाकई…!

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Image of scene from the film Baramulla

Baramulla

Horror (Hindi)

वादी की शापित लोरियां सुनाती ’बारामूला’

Wed, November 12 2025

2016 का साल। कश्मीर का बारामूला कस्बा। वही बारामूला जिसे वराहमूल और वर्मूल भी कहा गया। एक फंक्शन में तमाशा दिखा रहे जादूगर के बक्से से स्थानीय एम.एल.ए. का बच्चा ’गायब’ हो जाता है। तफ्तीश के लिए डी.एस.पी. रिदवान की वहां पोस्टिंग होती है। कुछ और बच्चे भी ’गायब’ हो रहे हैं। रिदवान को उन आतंकियों पर शक है जो बच्चों को पत्थरबाज बना रहे हैं। उधर जिस पुराने मकान में रिदवान और उनका परिवार रह रहा है वहां भी कुछ अजीब हरकतें हो रही हैं। कोई साया है जो उनके बेटे के संग खेलता है। बेटी को लगता है कि इस घर में कोई कुत्ता भी है। एक दिन रिदवान की बेटी भी ’गायब’ हो जाती है। कौन है इसके पीछे? क्या राज़ है इस घर का? बच्चे ’गायब’ क्यों हो रहे हैं, कैसे हो रहे हैं, कौन कर रहा है, कहां हैं वे बच्चे…?

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Image of scene from the film Haq

Haq

Drama (Hindi)

हक की बात ‘हक़’ के साथ

Sat, November 8 2025

आज़ाद भारत की अदालतों में पेश हुए उल्लेखनीय मुकदमों में शामिल रहा है इंदौर की शाह बानो बेगम का वह केस जो उन्होंने अपने शौहर मौहम्मद अहमद खान के खिलाफ किया था। मुख्तसर बयानी यह कि अहमद ने पहला निकाह शाह बानो से किया जिससे उन्हें 5 बच्चे हुए। 14 साल बाद अहमद ने दूसरा निकाह कर लिया जिससे उन्हें 7 संतानें हुईं। इसके कई साल बाद जब अहमद ने शाह बानो को तलाक दिया तब शाह बानो की उम्र 62 साल थी। शाह बानो गुज़ारे भत्ते के लिए अदालत गईं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और वह जीतीं भी। लेकिन इस फैसले को मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल मानते हुए इसके खिलाफ देश भर में आंदोलन होने लगे। तब तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने 1986 में संसद में एक कानून बना कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर कर दिया। यह फिल्म ‘हक़’ उसी केस पर पर आधारित है।

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Image of scene from the film Chhath

Chhath

(Hindi)

रिश्तों की चाशनी में पगी ‘छठ’

Tue, October 28 2025

बिहार का एक गांव। गोविंद जी का परिवार बहुत खुश हैं। इस बार छठ के अवसर पर 25 साल बाद उनके घर में पूरे परिवार का जुटान हो रहा है। तीन बहनें, जीजा, बच्चे और उनका सबसे प्यारा भतीजा मोहित व उसकी पत्नी जो अमेरिका से आ रहे हैं। सब मिलते हैं तो चुहलबाजियां होती हैं, हंसी-मज़ाक होता है, थोड़ी छींटाकशी भी होती है। लेकिन तभी आड़े आ जाती है एक ऐसी बात कि पूरे घर का माहौल बदल जाता है। एक छत के नीचे दो गुट बन जाते हैं। रिश्ते टूटने की नौबत आ जाती है। और फिर सामने आता है एक दबा हुआ सच। क्या सब सही हो पाता है या फिर…!

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Image of scene from the film Thamma

Thamma

Comedy, Horror (Hindi)

वेताल की बे-ताल कहानी ‘थामा’

Wed, October 22 2025

छपरी किस्म का टी.वी. रिपोर्टर आलोक गोयल जंगल में घूमने जाता है जहां उसके पीछे भालू पड़ जाता है। एक रहस्यमयी लड़की उसे बचाती है। तभी कुछ लोग उसे उठा कर ले जाते हैं और एक बार फिर वही लड़की उसे बचाती है। इन दोनों में प्यार हो जाता है। लेकिन यह लड़की इंसान नहीं, वेताल है। वेताल, यानी चलते-फिरते प्रेत, जो बरसों पहले इंसानी खून पीते थे लेकिन अब इंसानों को बचाने का काम करते हैं। आलोक इस लड़की को लेकर अपने घर दिल्ली आ जाता है तो पीछे-पीछे कुछ वेताल भी आ जाते हैं। वैसे भी अब आलोक इंसान नहीं रहा, वेताल बन चुका है।

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